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द गर्ल इन रूम 105

तुमने कश्मीर जाने से पहले मुझे बताया भी नहीं।' "सॉरी, सर हां हम उनका इंतजार करेंगे,' मैंने कहा।


"और सुनो, केशव।'

'जी, सर?" मैंने कहा मैं उम्मीद कर रहा था कि वे इस केस को सुलझाने की खातिर इतना बड़ा जोखिम

उठाने के लिए हमारी तारीफ़ करेंगे। "पुलिस सिकंदर को पकड़ ले तो पहले मुझे बता देना। मीडिया को यह न्यूज़ में ही ब्रेक करना चाहता हूं। मैं नहीं चाहता कि सराफ इसका क्रेडिट ले ले।'

पके बालों वाले इंस्पेक्टर सराफ पुलिस जीप से निकले, जिसकी उम्र उनसे भी ज्यादा लग रही थी। उनके साथ दो

कांस्टेबल भी थे। सभी सादा कपड़ों में थे, ताकि किसी को शक ना हो। सौरभ और मैं उन तीनों से मुनव्यू के बाहर एक खाली पार्किंग लॉट में मिले। "शांत रहना और ऐसा दिखावा करना कि तुम इस होटल के नॉर्मल गेस्ट्स हो,' इस्पेक्टर सराफ ने कहा । रिसेप्शन डेस्क पर कोई तीस साल का दाढ़ी वाला एक व्यक्ति बैठा था।

मैं केशव हूँ। क्या यहां पर अहमद नाम का कोई आदमी है।" मैं ही अहमद हूं,' उसने कहा 'मैं यहां का मैनेजर हूँ। तो तुम्हीं सिकंदर के दोस्त हो?" फिर उसने सादा

कपड़ों में पुलिस के लोगों और सौरभ को देखकर कहा, 'ये सब लोग कौन हैं?'

'ये मेरे दोस्त हैं? सिकंदर कहां है?" अहमद और मैं दूसरे फ़्लोर पर एक रूम में गए। बाक़ी लोग हमसे कुछ क़दम की दूरी पर चल रहे थे। मूनव्यू

"मेरे साथ आओ।"

के कॉरिडोर में ज्यादा रोशनी नहीं थी और ठंड भी बहुत थी। अहमद ने सबसे आखिर के कमरे में घुसने के लिए मास्टर की का इस्तेमाल किया। उसने पीली सीलिंग लाइट जला दी। सिकंदर बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसका चेहरा खून में लथपथ था। उसकी गन उसके पास थी।

'ओह, सौरभ की चीख निकल पड़ी। सिकंदर के चेहरे का निचला हिस्सा इतना बिगड़ गया था कि उसे पहचानना मुश्किल था। पूरे कमरे में दुर्गंध भर गई थी और सांग लेना दूभर हो गया था। मैं सुन्न हो गया। मुझे लग रहा था, जैसे मेरे चारों तरफ चीजें स्लो मोशन में चल रही हैं। इंस्पेक्टर सराफ ने इतने शांत तरीके से सिकंदर की

कलाई उठाकर देखी, जैसे टीवी का रिमोट उठा रहे हों। 'डेड' उन्होंने कहा 'खुद को मुंह में गोली मार ली।"

"मैंने तुम्हें यहां पर इसलिए बुलाया है, क्योंकि मैं किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता,' अहमद ने कहा 'मेरे

लिए यह होटल ही रोज़ी-रोटी है। अगर यहां पर खुदकुशी की खबर फैल गई तो....'

इंस्पेक्टर सराफ ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, 'तुमने लाश को कब देखा?"

तीन घंटे पहले हाउसकीपिंग वालों ने यह देखा । मैंने उनसे कहा कि खामोशी बनाए रखें। मैंने उसका फ़ोन ले लिया कि शायद कोई कॉल करें। तुम्हारा फोन तभी आया।'

"वो यहां कब आया था? पांच दिन पहले। क्या आप इसकी बॉडी को यहां से ले जा सकते हैं? या इसकी फैमिली को बता सकते हैं? मैं पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता। प्लीज़, ' अहमद ने कहा ।

'हम पुलिस के ही लोग हैं,' इंस्पेक्टर ने अपना आईडी कार्ड दिखाते हुए कहा। अहमद उनके क़दमों में गिर पड़ा।

'मुझे इस सबके बारे में कुछ नहीं मालूम, साहब।' इंस्पेक्टर ने उसे कंधों से पकड़ा और उठा लिया।

"तुमको मालूम है ये फोन था और क्या करता था

"नहीं, साहब, अहमद ने कहा। इंस्पेक्टर ने अहमद को तमाचा जड़ दिया। मुझे समझ नहीं आता कि पुलिस वालों को ऐसा क्यों लगता है

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